उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अपनी एक्सयूवी 500 से घर लौट रहे एपल कंपनी के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी की मौत पुलिस की गोली से हुई. आरोपी पुलिसवालों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है और जांच के आदेश दे दिए गए हैं. लेकिन इस घटना ने पुलिस को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है. इस मामले में मृतक का परिवार लगातार पुलिस पर सवाल उठा रहा है.
कल्पना ने कहा कि अगर मेरे पति किसी संदिग्ध हालत में थे भी तो भी पुलिस को कोई हक नहीं कि वो मेरे पति को गोली मारे. अगर विवेक ने पुलिस के कहने पर गाड़ी नहीं रोकी तो आरटीओ दफ्तर जाकर उनकी गाड़ी का नंबर नोट करके उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए थी. पुलिस ने आखिर उन्हें गोली क्यों मारी? क्या वो कोई आतंकवादी थे.
सना ने बताया की घटना के वक्त विवेक के साथ गाड़ी में मौजूद सहकर्मी सना खान ने बताया कि, 'मैं विवेक के साथ घर जा रही थी. गोमती नगर विस्तार के पास हमारी गाड़ी पहुंची थी, तभी दो पुलिसवाले सामने से आए. पीछे वाले के हाथ में लाठी थी और आगे वाले के पास गन. पीछे वाला पहले उतर गया और आगे वाले ने हमारी गाड़ी के किनारे गाड़ी खड़ी कर दी. दोनों दूर से चिल्ला रहे थे. हमने उनसे बचकर निकलने की कोशिश की और उनके आगे के पहिए से हमारी गाड़ी टकराई. लेकिन तभी अचानक उन्होंने गोली चला दी. हमने वहां से गाड़ी आगे बढ़ाई. गोली विवेक सर की चिन पर लगी. जब त होश तो उन्होंने गाड़ी चलाई और बाद में गाड़ी अंडरपास में दीवार से टकरा गई और विवेक सर का काफी खून बहने लगा. मैंने सबसे मदद लेने की कोशिश की. एंबुलेंस के आने में देर हो रही थी. थोड़ी देर में वहां पुलिस आई, जिसने हमें अस्पताल पहुंचाया. बाद में जानकारी मिली कि विवेक की मौत हो चुकी है.'
इस घटना के आरोपी कॉन्स्टेबल प्रशांत चौधरी का कहना है कि रात 2 बजे मुझे एक संदिग्ध कार दिखी जिसकी लाइट बंद थी, जब मैंने कार की तलाशी लेनी चाही को विवेक ने तीन बार मुझे गाड़ी से मारने की कोशिश की, जिसके बाद अपने बचाव में मुझे फायरिंग करनी पड़ी.
मृतक की पत्नी कल्पना तिवारी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि मेरे पति का तब तक अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा जब तक मुख्यमंत्री उनसे मुलाकात नहीं करते.