बिट क्वॉइन की तर्ज पर भारत में भी ऑनलाइन करेंसी की शुरुआत हो सकती है। इसके लिए आईआईटी कानपुर में ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी विकसित की जाएगी। इंस्टीट्यूट के कंप्यूटर साइंस विभाग के विशेषज्ञों को इस तकनीक पर काम करने के लिए नेशनल साइबर कोऑर्डिनेशन सेंटर (एनसीसीसी) ने 33.40 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट दिया है।
ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी पर संस्थान के विशेषज्ञ तीन से पांच साल तक काम करेंगे। साथ ही देशभर के ऑनलाइन बैंकिंग सिस्टम को सुरक्षित करने के लिए भी काम करेंगे। यहां ऐसी तकनीक विकसित की जाएगी, जिससे ऑनलाइन ट्रांजेक्शन और इससे जुड़े डाटा को सुरक्षित किया जा सके। आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों को साइबर सिक्योरिटी और सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर के लिए तकनीक विकसित करने में माहिर माना जाता है। आीआईटी निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने बताया कि एनसीसीसी का यह प्रोजेक्ट मिलना आईआईटी के लिए बड़ी बात है। इस पर यहां के विशेषज्ञ काम करने में सक्षम हैं। उम्मीद है कि इस पर सफलता हासिल होगी। प्रोजेक्ट पर प्रो. मणींद्र अग्रवाल, प्रो. संदीप शुक्ला और आईआईटी मद्रास से प्रो. श्वेता अग्रवाल काम करेंगी।
आईआईटी के बड़े प्रोजेक्ट में हुआ शुमार :
ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी आईआईटी के बड़े प्रोजेक्टों में शुमार हो गया है। इसे पाने की होड़ में आईआईटी दिल्ली, बांबे, मद्रास जैसे संस्थान भी थे। लेकिन, एनसीसीसी ने आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों को ही तवज्जो दी।
क्या है ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी :
ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जिसे फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड करने के लिए तैयार किया गया है। ब्लॉक चेन डिजिटली डाटाबेस को वितरित करने की क्षमता रखता है। मतलब यह एक डिस्ट्रिब्यूटेड नेटवर्क की तरह काम करता है। डाटाबेस के सभी रिकॉर्ड एक कंप्यूटर में स्टोर नहीं होते हैं, बल्कि लाखों कंप्यूटर में होते हैं। यह ब्लॉक चेन तकनीक के जरिये सभी रिकॉर्ड को न सिर्फ सुरक्षित रखता है, बल्कि उसे एन्क्रिप्टेड (कूट रचना) और गोपनीय तरीके से दर्ज करता है। ऑनलाइन करेंसी बिट क्वॉइन इसी तकनीक पर आधारित है। इसलिए लोग इसके संचालक का पता नहीं कर पाए हैं।
क्या है बिट क्वॉइन:
दुनिया के हर देश में मुद्रा का अपना नाम और वैल्यू है। जिस भी देश में आप जाएंगे वहां आपको उस देश की मुद्रा मिलेगी जैसे कि भारत में रुपया, अमेरिका में डॉलर का चलन है। लेकिन बिट क्वॉइन एक ऐसी वर्चुअल मुद्रा है जो किसी एक देश की नहीं है। इसे डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है। मतलब न तो इसे आप देख सकते हैं और न ही छू सकते हैं। इसमें केवल नंबर का खेल होता है। जिसे कभी भी किसी भी देश की मुद्रा में बदल सकते हैं।